जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

बरसात -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

                   बरसात          

रात प्रात हो गई ! वाह! क्या बात हो गई !!
जीवन से आज मौत की अब मात हो गई ॥

भ्रमर गूंज रहे कुसुमों के उन्नत वृन्त पर,
मुग्ध तितलियाँ भी तो उनके साथ हो गईं॥

कलरव करते उतर आये पक्षियों के वृन्द,
पुनः मिलने की तब उनसे बात हो गई ॥

अनमने मदिर ऊँघते गगन में ये बादल,
पर्वतों से फिर उनकी मुलाकात हो गई ॥

आज अचानक मौसम ने ली है अँगड़ाई,
जंगल की आग अब  यहाँ शांत हो गई ॥

आज वन-उपवन का मन बाग-बाग हो गया,
प्यासी धरा पर  झमाझम  बरसात हो गई ॥

                                -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मोहब्बत -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

प्राणों का जंगल -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

अलग ही मजा है ! -धर्मेन्द्र कुमार पाठक