जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

बातों - बातों में

          बातों - बातों में....

      बातों -  बातों   में   मैं   खोया।।
      आज मन ही मन  बहुत  रोया।।

       जग  की  रीत  समझ ना  आई,
        चित्त  को  ऐसे  क्यों   भिगोया?

          क्या    देखूं    मैं    दर्पण    में?
        अपना रूप  समझ  ना  पाया।।

          अपने    और    पराये   में   ही,
          सबको उलझा - उलझा पाया।।

           दरस  -  परस  की  बेला में  तो 
          उन्मन  -  उन्मन  मन घबराया।।

          कैसे   बसाऊं   तुझे   अंतर   में?
           भरमाती     है     तेरी     माया।।

                         -धर्मेन्द्र कुमार पाठक 





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