जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

अनोखा प्यार

बेशक  तुम  उस  पर ही  मरती हो.
मेरे    सपने  में  क्यों   सजती  हो?

माना     तुम    मेरे    सामने   नहीं,
फिर  क्यों  सपनों  में  संवरती हो?

हालांकि  तुझे   छूता   नहीं   कभी,
क्यों  अधरों पर  चुम्बन धरती हो?

तुम   मेरे   दिल  से   गई  ही  नहीं,
हर   पल   तो दिल में ही रहती हो.

तुमने  मुझे कभी   समझा ही नहीं,
 फिर  भी  हृदय में ही निखरती हो.

तुममें    मुझमें    कोई   भेद   नहीं,
फिर क्यों   मुझसे  दूरी  रखती हो?

तेरा  -  मेरा   ये   प्यार    अनोखा,
ना  मैं  कहता  ना  तुम  कहती हो.

                -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.





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