जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

संकट की घड़ी -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

               संकट की घड़ी
                                  -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.
 
कौन  देगा  साथ आज संकट की  इस  घड़ी में?
हर  कोई   है  यहां  तो  अपनी   ही  हड़बड़ी  में.

कौन   डालेगा   गले   में   सुप्रेम   का    पुष्पहार,
हर  कोई  है   खोया  दिखावे  की   फुलझड़ी  में?

मन  बहुत  बेचैन  है  अब  पाता  नहीं  कहीं चैन,
कौन  दिखाए  राह  गफलत की  इस गड़बड़ी में?

हम   जिसे   समझते  रहे  अपना   देते  थे  जान,
वही  जकड़  गया  है आज  हमें  इस हथकड़ी में.

किस एक पर अब मैं कर दूं अपने दिल को फिदा?
हर  कोई   है  खास  यहां  प्यार  की  इस  लड़ी में.

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