जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

इशारा -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

डूबते  को तिनके  का  सहारा काफी।।
इंसान को तो बस यहां इशारा काफी।।

तन्हा चलने का हौसला तो रखो तुम;
कदम  को   तेरी  चूमेगी  कामयाबी।।

अंधेरे  को  चीर  कर   निकलता  सूरज;
सुबह तक अपनी कोशिशें तो रख जारी।।

हीरे   को   तो   तराशा   ही   है   जाता;
छेनी  की   चोट   लगती   ही  है   भारी।।

तपोगे   तभी   तो  निखरोगे  तुम  प्यारे;
मिट   जाएगी   हरेक   तुम्हारी   खामी।।

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