जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

प्रभु मेरे रसिया रे... धर्मेन्द्र कुमार पाठक


प्रभु मेरे रसिया रे....
मेरे मन बसिया रे.....

रोम - रोम में समाये,
मेरे सपने सजाये,
प्रीत नित निभाये,
जाने दिल की बतिया रे....

बात मेरी माने,
कभी रार नहीं ठाने,
सदा संग - संग बितावे,
हर दिन - रतिया रे......

अब नींद नहीं आये,
तेरी याद सताये,
जिया घबराये,
जब से भये परदेसिया रे....

© धर्मेन्द्र कुमार पाठक

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