जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

कहां आ गए! -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

कहां आ गए!

अपने ही यहां  अपनों को  खा गए!
जहां में कहां थे हम,  कहां आ गए!

जो कल यहां न्याय  मांगा करते थे;
आज अपनों के सारे  हक खा गए!

घेरकर   रोटियों   को  नाच  रहे  हैं;
अपनों  के  ही हिस्से जो  चुरा गए!

अब हैरान हैं  हमसब  यह देखकर;
न  जाने  कैसी  दुनिया में  आ गए!

                  -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

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