जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

जवानी -धर्मेन्द्र कुमार पाठक


जवानी

सुनी   अब तक  यहां  कोई  कहानी नहींं.
 क्या   अब तक  आई  तेरी  जवानी नहीं.

धरती   है   सूखी   औ'  अंबर   है  रीताा;
बादल  के  पास  क्या अब  है  पानी नहीं.

न   बजते  हैं  घुंघरू, न  थिरकते हैं  पाॅव;
लगता   है    यहां    कोई   दीवानी   नहीं.

न   भॅवरे  मंडराते   हैं  कलियों  के  पास,
कहीं  शेष  अब  प्रेम   की  निशानी  नहीं.

यूं  ही  मचलते  रहे  सपने   भी  दिल  में;
दिल की बात अब किसी को बतानी नहीं.

                         -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

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