जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

विश्वास हुआ होता! -धर्मेन्द्र कुमार पाठक


विश्वास हुआ होता!

यदि   मेरे  प्यार  का  तुझे  विश्वास  हुआ होता।
तो इस जीवन का हर पल कुछ खास हुआ होता।।

तब   मैं  भी   बसता  तेरे  नैनों  में  सपनों  -सा;
मिलने का कुछ और अलग  अंदाज  हुआ होता।।

तेरा    हाथ    होता   मेरे   ही   हाथों   में   सदा;
साथ -साथ चलने का तब  एहसास  हुआ होता।।

साथ  बैठकर  हम  भी   तो  करते  हजार बातें;
और   हर  बात  पर  हमें   ऐतबार  हुआ होता।।

एक -दूसरे  से  कुछ  भी  तो  जुदा  नहीं होता;
दोनों  का  सदा  एक  ही  अरमान  हुआ होता।।

-धर्मेन्द्र कुमार पाठक

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