जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

कायल हो गया...! -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

कायल हो गया....!

तेरी  सुंदर  निगाहों  का  कायल  हो  गया!
दिल  मासूम  था  बेचारा  घायल  हो गया!

जाने  क्यों  नजरें  मिला के  चुरा  लेती हो, 
दिल कभी घुंघुरू तो  कभी पायल हो गया!

जब  तेरे-मेरे   दिल  का  दिल से  करार है;
तेरा कॉल कहीं और  क्यों  डायल हो गया!

बेचैनी  में  दिल  की   कैसी   हालत  मेरी;
वफ़ा का  बेवजह यहां तो  ट्रायल हो गया!

                          -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

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