जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

चलना ही है -धर्मेन्द्र कुमार पाठक


विरह -मिलन प्रतिपल की घटना ही है।
जीवन को  तो  आखिर  मिटना ही है।।

सम्मान  मिले,  अपमान मिले  जग  में;
कर्म  अपना  तो  नित्य  करना ही  है।।

अब  क्या  है  इस  माटी  की काया में;
सांसों  को  तो आखिर चलना  ही  है।।

कब   तक   देखेंगे   हम   मीठे  सपने;
आंखों  को तो  आखिर खुलना ही है।।

यह  साथ  सुहाना भी क्षण भर का है;
अंत   में  अकेला  तो  चलना ही  है।।

सुबह  सुहानी  में  कब तक सैर करूं;
सूरज को  तो आखिर ढलना  ही  है।।

चाहे जितना भी अब प्रीत निभाओ;
आखिर में  मिलना  तो छलना ही है।।

जिसकी जितनी होती मीठी बोली;
जहर घुला  उसमें  तो उतना ही है।।

                    -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

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