जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

तुझे क्या मिला -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

तिरंगे  का   करके  अपमान  तुझे  क्या मिला?
ओ  धरती  के भगवान!  बता  तुझे क्या मिला?

तुम    तो    कहते   थे   तिरंगा   मेरी   शान  है;
तुम    तो   कहते    थे   तिरंगा   मेरी   जान  है;
खोकर  अपनी  पहचान  बता तुझे  क्या मिला?
ओ   धरती  के  भगवान  बता  तुझे क्या मिला?

पूछता  है   अब लाल   किला  का  यह  प्राचीर;
रक्षा   में   जिसकी   मिट  गए  हैं   कितने  वीर;
तुम  बस  भांजते  रह   गए  हो  यहां   शमशीर;
शर्मसार  कराके   बलिदान   तुझे   क्या  मिला?

                                    -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मोहब्बत -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

प्राणों का जंगल -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

अलग ही मजा है ! -धर्मेन्द्र कुमार पाठक