जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

'राधे राधे' बोल लो -धर्मेन्द्र कुमार पाठक



        प्रेम   से  'राधे -राधे'     बोल   लो.

श्रीकृष्ण     बसेंगे      तेरे   मन  में.
मन   के  ही    मधुमय  वृंदावन  में.

         आज तुम  अन्तर के पट  खोल लो.
 
अंतरस्तल    के    वन  -कानन  में.
तेरे   परिमल  मन  के  मधुवन  में.

       अपनी   प्रेम  की  गठरी   खोल लो.

प्रकाश     भरेंगे      जीवन  -वन   में.
भक्ति   भरेंगे    हिय  के  आंगन  में.

         चाहे   मोल  इसका   अनमोल  लो.

वंशी  मधुर   बजेगी  कण -कण  में.
अप्रतिम  सुख  बरसेगा  जीवन  में.

        तुम  अभी  तोल  सको तो तोल लो.

                   -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

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