जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

तुम मिले! -धर्मेन्द्र कुमार पाठक


                                  तुम मिले!

जिन्दगी की  धूप-छाँव में  तुम मिले!
सरस स्नेह के लघु गाँव में तुम मिले!
 
दुःख-दर्द   का  सागर  दिल में  उमड़ा,
पीड़ा   के   तेज  बहाव  में  तुम  मिले!

इतना  सरल   नहीं  तुझे  भूल  जाना,
जीवन के  हर  मझधार में  तुम मिले!

विधि  को तो  एक दिन रूठना ही  था,
मन  के  उस  अलगाव  में  तुम  मिले!

जब  भी   लुभाती  है   रंगीन   दुनिया,
बहके  मन के  भटकाव में  तुम  मिले!

अब अगर तुम न मिलते तो क्या होता,
उलझन  के  इस उलझाव में तुम मिले!

अब तो  तुम  ही  तुम  हो मैं कहीं  नहीं,
अन्तर्मन  के  हर  भाव  में  तुम  मिले!

                       -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.  

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