जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

नीले नभ से -धर्मेन्द्र कुमार पाठक


नीले नभ से


नीले नभ से  यह स्वर  फूटे-
                 नहीं    प्रेम  का   बंधन  टूटे!

कभी  अंग  को   रक्त न  रंगे,
अब मृत्यु  नृत्य  करे न  नंगे,
शांत     बहो  हे   पावन   गंगे,
                 प्रमोद -घट  नित  भरें  वधूटे!

चतुर्दिक   हो  चारु   हरियाली,
अधरों पर  खुशियों की  लाली,
मधुर   मुस्कान  प्यारी-प्यारी,
                मन   गाये   औ'  मस्ती   लूटे!

अपनत्व  भरा  सबका  मन हो,
निश्छल निर्मल सबका मन हो,
प्रेमल पुलकित  जीवन-धन हो,
               कभी   न   कोई   हमसे   रूठे!
                           
                             -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.


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