जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

भाव-सरणियाँ -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

मैं
फिर वही 
भाव-सरणियों में 
दु:ख के
आतुर बिम्बों में 
अपने आपको 
देखता हूँ ।
आप शायद
सोंचे  कि 
यह होगी 
कोई 
नि:शब्द कविता 
पर
इसका स्वर
हृदय में 
अनवरत
झंकृत ही 
होता जा रहा।
कभी-कभी
लगता है
कि
यह स्वप्न है
परंतु 
अंतर
में
कई जीवंत क्षण
साकार होने लगते हैं
और पता नहीं
वहाँ 
मैं
कैसे खोने लगता हूँ 
सोचता हूँ 
कि
यह भावनाओं का
महासमुद्र
मुझे अपने-आप  में
समाहित
ही तो
कर रहा।

-धर्मेन्द्र कुमार पाठक 

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