जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

चाँद की चाँदनी -धर्मेन्द्र कुमार पाठक



      चाँद की चाँदनी 


देखता     रहा    हूँ   चाँद   की   मैं   चाँदनी ! 

तारकों    के    मध्य   रौशनी    उन्मादिनी !! 


नभ   से  उतर  रहीं   प्यार   की   ये   रश्मियाँ, 

हवा   में   तैर   रहीं    सुगंध    की   तितलियाँ, 

मन  उपवन में सजे   हैं   नवीन  सुख - स्वप्न,

स्वर्णिम पलकों पर  अपलक चिर निवासिनी !


जहाँ   स्नेह - मिलन   की   होती   है    लालसा,

अरुण-अरुण   अधरों   पर   तीव्रतम   पिपासा,

करवटें     बदलती      हैं    यादों    की   घड़ियाँ,

प्रतिपल  की   मधु - मादकता  भी   सुहासिनी !


आत्मीय  क्षणों  में  सहज - मुक्ति   की   चाहत,

सरस   स्नेही    मन   की    आतुर    छटपटाहट,

शांत,  स्निग्ध,  सौम्य,  नील गगन की  खींचती, 

चंचल    चारुता    ज्यों     रागों    की    रागिनी !


                                      -धर्मेन्द्र कुमार पाठक 







 

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