जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

बेटी -धर्मेन्द्र कुमार पाठक



घर में खुशी  का कभी टोटा न करो।
मन बेटियों का कभी छोटा न करो।।

दुनिया  में जीने  का  हौसला  बढ़ा,
उसके  सपने  कभी  समेटा न करो।। 

दरिंदों  को चाहे तो  कर दे  खतम,
बढ़ते कदम को कभी रोका न करो।।

उसी ने सजाया  घर  कोना-कोना,
घृणा अपने हृदय में  फेंटा न करो।।

जागे  हैं  उसकी  आंखों में  सपने,
उन उमंगों को  कभी टोका न करो।।

चाहती  है   संवार  देना  दुनिया, 
पत्थर तो कदमों  में फेंका न करो।।


                                    -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

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