जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

जीवन-धर्मेन्द्र कुमार पाठक




                जीवन 

कितना   अनुपम   यह   जीवन  है.
सुख-दुख  का नित मधुर मिलन है.

चंचल    मन   की    मादकता   से,
कभी   स्नेह  की    समरसता    से,
गत्वर    जीवन   का    प्रतिक्षण  है.

जैसे    कलिका    की     कोमलता,
अलि    को     भटकाती   चंचलता,
परिमल     से     भरा   तपोवन   है.

करुण    उदासी   पतझड़  की  भी,
जीवन    लाता    ऐसे     क्षण   भी,
अश्रु-हास   का   विरल   कलन   है.

जभी      खुलेंगी     चेतन     आंखें,
फैलेंगी     तब       जीवन     शाखें,
सहज     सुलभ   मेरा   भी  मन  है.

                  -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

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