जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

बाबा भोलेनाथ का मगही भजन-धर्मेन्द्र कुमार पाठक


श्रीहरिनाथेश्वर शिव,पाठक बिगहा,जहानाबाद  


भोला हमर बड़ी धुरवा रे,
                     पीस खाए भांग-धतूरवा।।

पीसहु के न गौरा के लूरवा रे,
                      कइसे खाये धतूरवा।।१।।

जटा से निकले गंगा के धरवा रे,
                      पीय भोर भिनसरवा।।२।।

बसहा बयल चढ़ल  सुरवा रे,
                    हाथ में  शोभे तिरशूलवा।।३।।

गले में नाग फुफकरवा रे,
                          माथ पर  चंदा के नूरवा।।४।।

डमरु बजावे डिमडिमवा रे,
                       संग नाचे भूत बैतलवा।।५।।

सबके नचावे हमर भोलवा रे,
                            नाचे चांद सूरुजवा।।६।।

कहिया फिरत हमर दिनवा रे,
              प्रभु कब देब अपन दरसनवा।।७।।


                          *-धर्मेन्द्र कुमार पाठक*

टिप्पणियाँ

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मोहब्बत -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

प्राणों का जंगल -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

अलग ही मजा है ! -धर्मेन्द्र कुमार पाठक