जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

जेठ की जवानी -धर्मेन्द्र कुमार पाठक



वैैशाख को मिल गयी जेठ की जवानी। 
     और धरती चिल्ला रही है -"पानी! पानी!!"

            आज गाय-भैंस के फेफड़े फूल रहे,
                 बछड़े-बछड़ियों के नथूने झूल रहे,
                        मृग-मृगा मरीचिका में भूल रहे; 
                             तड़फड़ा रही जंगल की रानी॥ 

        रेत में धँस गये ऊँटों के पाँव, 
            फ़सलों के जलने से सूना हुआ गाँव, 
                        श्रृंगालों के सारे उलटे हुए दाँव; 
                        छप्पर जले बची बस घर की निशानी॥

 ऊपर से सूर्यदेव दाग रहे गोले,
      पवन के हाथों में हैं आग के शोले, 
        कृपा करो हे, महादेव बमबम भोले;
                   पूरे पूर्वोत्तर की यही है कहानी॥

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