जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

गजल-धर्मेन्द्र कुमार पाठक

कैसा अज़ीब सियासी दौर है। 
महलों में मसीहों का ठौर है।।
जुबां पर लहराते  हैं  जो लब्ज़ ,
ज़िगर में बात यहाँ कुछ और है।। 
यारों उनके वादों पर मत जा,
बबूल में आम का-सा बौर है।।
बेआबरू करके यह सपनों को,
रखे आया माथे पर मौर है।।
कहीं आदमीयत ना मर जाए,
सबकुछ ही कयामत का कौर है।।

 

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