जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

वक्त दरिया है, बहा जा रहा है... -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

   


दिल से दूरियाँ तो वह रोज बढ़ा रहा है. 
केवल दिखाने को ही प्यार जता रहा है.
 
पेड़   के सूखने का ही इंतज़ार नहीं तो,
पंछी  यहाँ से उड़ने का मन बना रहा है.

अब यह किस्मत है या वक्त का तकाज़ा जो,
आज  वहाँ   हमको   भी   कोई  बुला  रहा  है.

अब विश्वास  हो या न हो यह सच्चाई  तुझे, 
कि  ज़िंदगी  का  सूरज  तो  ढ़ला  जा रहा  है.

आओ कुछ पल पास बैठें और  बात करें, 
नहीं तो   वक्त  दरिया है, बहा जा रहा है.

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