जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

सावन जब..-धर्मेन्द्र कुमार पाठक

सावन जब बादल बरसाये।
रजनी मेरी खाट भिगाये।।
दिल तो अब रोने को आये।
क्यों आज़ादी का जश्न मनायें?
कितने दशक सदियाँ बीतीं।
झोपड़ियों की आँखें रीतीं।।
सपने मन में कौन सजाये।
प्रियतम जब अपने घर आये।।
ख़्वाब लूट मसीहा बन जाते।
खुद पर ही हम ख़ूब पछताते।।
ऐसे क्यों रिश्ते पनपायें?
छलिया से कैसे बच पायें?    
            -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

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