जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

तूफां में -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

तूफ़ां में

तूफ़ां में तड़पते हैं प्राण,
       लुटा-लुटा-सा मन का मकान!

उड़ी झोपड़ी करुणा फूटी,
      सपनों से अब आँखें रूठी,
               किस्मत के आगे कब चलती,
                                        हैं अपने बने अनजान!

अनवरत अपनी सानी में,
           दौड़ रहे सागर पानी में,
                   अचेत प्रिया चुनर धानी में,
                                         कैसे हो अब सुबह संज्ञान!

ओह, प्रकृति का क्रूर विनाश,
        सूना-सूना हृदय आकाश,
              फीके-फीके हुये उल्लास,
                               निर्मम हाय यह करुण विहान!

                                     --धर्मेन्द्र कुमार पाठक

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