जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

कुछ अटपटे दोहे -धर्मेन्द्र कुमार पाठक



लोकतन्त्र में नेता की,
राजा जैसी ठाट।
और घर में ग़रीब की,
टूट रही है खाट॥
है लीला यह वोट की,
लो देख करामात।
भिखमंगों को खिलाते,
पूछ-पूछ कर जात॥
जात-पात की राग में,
नेता गाते गीत।
और इसीके आसरे,
चुनाव जाते जीत॥
चारों ओर विकास की,
करते ख़ूब प्रचार।
सत्तासीन होने पर,
देते उसे विसार॥
नेताओं की चाल से,
बँटता रहा समाज।
मतदाताओं की फूट,
पहनाता है ताज़॥

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