जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

नवप्रभात -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

जब सुबह होती है
और 
हवा धीरे-से
रजनी का अवगुण्ठन
हटाती है.....
तब...
आरंभ हो जाता है 
प्रकृति का
अद्भुत अभिसार....
और
 दिवस के आगोश में
 समा जाती है
 थकी-हारी रात 
और फिर,
धरती की गोद में
खिलखिलाने लगता है
नवजात....!
नवप्रभात!!

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