संदेश

मार्च, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जिंदगी

तेरी   यादों   से     तर -बतर  जिंदगी.  कुछ  इस  तरह  रही है गुजर  जिंदगी.  हम  मिले  यहां  तुमसे  हसीं  मोड पर, जहां  तय  कर  रही  है  सफर  जिंदगी.  एक    पहेली    है     तेरी    बातों    में,  खो   जाती  है  चलती  जिधर   जिंदगी.  हमारा  मिलना  एक  पल  के  लिए  है,  फिर   जाएगी   जाने    किधर   जिंदगी.  दिल की हसरतें कुछ भी बाकी  न रख,  जाने   कब   हो  जाए   सिफ़र  जिंदगी. -धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

मैं

चित्र
मैं मैं  कोई रिश्ता नहीं, प्यार हूं। तेरे  हृदय का  मृदु  श्रृंगार हूं।। बाहर  मत  तलाश कभी मुझे अंतर  का   शांत  पारावार हूं।। उन्मुक्त जीवन का मधु राग हूं, आनंद का अप्रतिम त्योहार हूं।। तेरी स्मृतियों का मधुर हास हूं, सुनहरे  सपनों  का  संसार  हूं।। © धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

वसंत की छटा -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

चित्र
पीली  सरसों  वाली  सारी। पहन सज गई धरती प्यारी।। मंजर  से  लदे  सारे  आम। पीकी पुकारे पिय के नाम।। कनेर  हैं  कानों  की  बाली। मौलश्री   होठों  की  लाली।। महुआ के  फूलों की प्याली। ताल - तमाल बजाते ताली।। आंखों  में  ऊंघ  रहे  सपने। पहन  भावनाओं  के  गहने।। बसंत की छटा अति निराली। प्रकृतिक प्यार पगी है थाली।।         © धर्मेन्द्र कुमार पाठक.

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

मोहब्बत -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

प्राणों का जंगल -धर्मेन्द्र कुमार पाठक

अलग ही मजा है ! -धर्मेन्द्र कुमार पाठक